Mirza Ghalib Shayari in Hindi - Mirza Ghalib Shayari
Mirza Ghalib Shayari पूरी दुनिया में मशहूर है। प्यार पर Mirza Ghalib Shayari बहुत मशहूर है।Mirza Ghalib Shayari in Hindi में दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। (Ghalib) ग़ालिब ने 11 साल की उम्र में शायरी (Shayari) लिखना शुरू कर दिया था। उन्होंने ज्यादातर दुख भरी शायरी (Sad Shayari) लिखी लेकिन उनकी प्रेम शायरी(Love Shayari) भी अच्छी तरह से जानी जाती है। यहाँ मैंने प्यार पर मिर्ज़ा ग़ालिब सद शायरी और मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी साझा की है। हमारे पास भारतीय उर्दू में ग़ालिब शेर है। आप हमारी साइटों से शायरी Quoteslikehindi.com पा सकते हैं।
वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शायरों में से एक थे। उर्दू में मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी के हमारे संग्रह की जाँच करें। (Mirza Ghalib Shayari in Urdu)
Mirza Ghalib Shayari
khti h muje thumhari suart b pasand nahi
to phir kyu wo chup kr hme dekha krte h
Is qadarr tora hai mujhaay uss ke be-wafaai nay “ghalib”
Abb koi agarr pyar se bhi daikhaay to bikharr jata hoon mai
उनके देखने से जो आ जाती है मुँह पर रौनकक,
वह समझती है कि बीमार का हाल अच्छा है …
सोचा था घर बनाकर बैठूँगा सकून से.मगर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना दिया.
कितना खौफ होता है शाम के अंधेरूँ में,
पूँछ उन परिंदों से जिन के घर्र नहीं होते …
उसने हमे कही का नहीं छोड़ा ये ग़ालिब
हमने तो पूरी जिंदगी उसके नाम करदी थी…
Mirza Ghalib Shayari in Hindi
हिंदी में सर्वश्रेष्ठ मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी का पता लगाएं। यहाँ हमने ग़ालिब शायरी पर हिंदी में एक विशाल संग्रह साझा किया है।
ये ज़िन्दगी तेरी यादो से,अब नासूर सी चुभती है,किसे पता था मेरी दस्त,ये यादे ताज महल से बड़ी लगती है!!
अब तू नहीं है दुनिया में,
हु अकेला वही खड़ा,
तू मुमताज़ तो बन गयी
मै रह गया निचे पड़ा!
गुलाब को भी कमल बना देते,
उसकी एक अदा पे कई ग़ज़ल बना देते…
कम्भख्त मरती नहीं मुझ पर लडकियां,
लखनऊ में भी ताजमहल बना देते…
“ना रख उम्मीद-ए-वफ़ा किसी परिंदे से …
जब पर निकल आते हैं …
तो अपने भी आशियाना भूल जाते हैं…”
Mirza Ghalib Shayari on Love
मिर्ज़ा ग़ालिब दुनिया की बेहतरीन शायरी में से एक थे। उन्होंने लगभग सभी शायरी लिखीं और प्यार और दुख पर शायर हुए। ग़ालिब प्रेम शायरी के हमारे संग्रह की जाँच करें।
की हमसे वफ़ा तो गैर उसको जफ़ा कहते है,
होती आयी है की अछि को बुरी कहते है.
हम तोह फनाह हो गए उसकी ऑंखें देख कर ग़ालिब,
ना जाने वह आइना किऐसे देखते होगे …!
निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये थे लेकिन,
बहुत बेआबरू होकर तेरे कुचे से हम निकले.
वह रात दर्द और सितम की रात होगी,
जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी,
उठ जाता हु में ये सोचकर नींद से अक्सर की
एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी
मुझे उम्मीद है कि आपको Mirza Ghalib Shayari in Hindi - Mirza Ghalib Shayari पर हमारा संग्रह पसंद आएगा। अगर आपके पास कोई और मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी / शेर है तो कृपया हमारे साथ साझा करें। हम उन्हें अपनी सूची में शामिल करेंगे। हम हिंदी और उर्दू में और अधिक ग़ालिब शायरी जोड़ेंगे, हमारी साइट पर आते रहें।
Read More :
1 Comments
nice and great
ReplyDelete