Safar Ki Hadd Hain Wahan Tak - Rahat Indori Shayari


सफ़र की हद है वहाँ तक के कुछ निशान रहे
चले चलो के जहाँ तक ये आसमान रहे

ये क्या उठाये क़दम और आ गई मंज़िल
मज़ा तो जब है के पैरों में कुछ थकान रहे   (Rahat Indori Shayari)

वो शख्ह्स मुझ को कोई जालसाज़ लगता है
तुम उस को दोस्त समझते हो फिर भी ध्यान रहे

मुझे ज़मीन की गहराईओं ने दाब लिया
मैं चाहता था मेरे सर पे आसमान रहे     (Rahat Indori Shayari)

अब अपने बीच मरासिम नहीं अदावत है
मगर ये बात हमारे ही दरमियाँ रहे

मगर सितारों की फसलें उगा सका ना कोई
मेरी ज़मीन पे कितने ही आसमान रहे     (Rahat Indori Shayari)

वो एक सवाल है फिर उस का सामना होगा
दुआ करो के सलामत मेरी ज़बान रहे

-राहत इन्दौरी


Shahar mein Doondh raha hun - Rahat Indori Shayari


शहर में ढून्ढ रहा हूँ के सहारा दे दे
कोई हातिम जो मेरे हाथ में कासा दे दे

पेड़ सब नंगे फ़क़िरों की तरह सहमे हैं
किस से उम्मीद ये की जाए की साया दे दे   (Rahat Indori Shayari)

वक़्त की संगज़नी नोच गई सारे नक्श
अब वो आईना कहाँ जो मेरा चेहरा दे दे

दुश्मनों की भी कोई बात तो सच हो जाए
आ मेरे दोस्त किसी दिन मुझे धोका दे दे    (Rahat Indori Shayari)

मैं बहुत जल्द ही घर लौट के आ जाऊंगा
मेरी तन्हाई यहाँ कुछ दिनों पहरा दे दे

डूब जाना ही मुक़दर है तो बेहतर वरना
तूने पतवार जो छीनी है तो तिनका दे दे    (Rahat Indori Shayari)

जिस ने क़तारों का भी मोहताज किया मुझ को
वो अगर जोश में आ जाए तो दरिया दे दे

तुम को “राहत” की तबीयत का नहीं अंदाज़ा
वो भिखारी है मगर माँगो तो दुनिया दे दे     (Rahat Indori Shayari)

-राहत इन्दौरी


Peshaniyon pe likhe - Rahat Indori


पेशानियों पे लिखे मुक़द्दर नहीं मिले
दस्तर कहाँ मिलेंगे जहाँ सर नहीं मिले   (Rahat Indori)

आवारगी को डूबते सूरज से रब्त है
मग़रिब के बाद हम भी तो घर पर नहीं मिले

कल आईनों का जश्न हुआ था तमाम रात
अंधे तमाशबीनो को पत्थर नहीं मिले  (Rahat Indori)

मैं चाहता था खुद से मुलाक़ात हो मगर
आईने मेरे क़द के बराबर नहीं मिले

परदेस जा रहे हो तो सब देखते चलो
मुमकिन है वापस आओ तो ये घर नहीं मिले  (Rahat Indori)

-राहत इन्दौरी 


Kitni pi Kaise Kati - Rahat Indori best Shayari


कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं
रात के साथ गई बात मुझे होश नहीं  (Rahat Indori best Shayari)

मुझ को ये भी नहीं मालूम की जाना है कहाँ
थम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहीं  (Rahat Indori best Shayari)

आँसुओं और शराबों में गुज़र है अब तो
मैं ने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं  (Rahat Indori best Shayari)

जाने क्या टुटा है पैमाना की दिल है मेरा
बिखरे बिखरे हैं ख़यालात मुझे होश नहीं  (Rahat Indori best Shayari)

-राहत इन्दौरी 

Har Ek Chere Ko - Rahat Indori Love Shayari


हर एक चेहरे को ज़ख्मों का आईना ना कहो
ये ज़िंदगी तो है रहमत इसे सज़ा ना कहो

ना जाने कौन सी मजबूरियों का क़ैदी हो
वो साथ छोड़ गया है तो बेवफा ना कहो  (Rahat Indori Love Shayari)

तमाम शहर ने नेज़ों पे क्यूँ उछाला मुझे
ये इत्तेफ़ाक़ था तुम इस को हादसा ना कहो

ये और बात के दुश्मन हुआ है आज मगर
वो मेरा दोस्त था कल तक उसे बुरा ना कहो (Rahat Indori Love Shayari)

हमारे ऐब हमें उंगलियों पे गिनवओ
हमारी पीठ के पीछे हमें बुरा ना कहो

मैं वक़ीयत की ज़ंजीर का नहीं क़ायल
मुझे भी अपने गुनाहों का सिलसिला ना कहो (Rahat Indori Love Shayari)

ये शहर वो है जहाँ राक्षस भी है “राहत”
हर एक तराशे हुए बुत को देवता ना कहो

-राहत इन्दौरी